हुमायूँ (Humayun) मुग़ल साम्राज्य के दूसरे सम्राट थे, जिन्होंने 1530 से 1540 और फिर 1555 से 1556 तक शासन किया। उनका जीवन और शासन एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक कालखंड को दर्शाता है, जिसमें उन्होंने अपने पिता बाबर के स्थापित साम्राज्य को बनाए रखने और पुनर्निर्माण करने की कोशिश की। यहाँ हुमायूँ (Humayun) के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है:-
प्रारंभिक जीवन
- जन्म: हुमायूँ (Humayun) का जन्म 6 मार्च 1508 को अम्बाला, हरियाणा (वर्तमान पाकिस्तान) के फतेहपुर सिखरी में हुआ था। उनके पिता का नाम बाबर था, जो मुग़ल साम्राज्य के संस्थापक थे, और मां का नाम हमीदा बानो बेगम था।
- शिक्षा और प्रशिक्षण: हुमायूँ (Humayun) ने अपने पिता के अधीन सैन्य और प्रशासनिक प्रशिक्षण प्राप्त किया। बाबर ने हुमायूँ को सैन्य रणनीति और शासन की बारीकियाँ सिखाईं।
शासन की शुरुआत
सिंहासन पर आरूढ़ होना: बाबर की मृत्यु के बाद, हुमायूँ ने 1530 में मुग़ल साम्राज्य का सिंहासन संभाला। उनका प्रारंभिक शासन कठिनाइयों और चुनौतियों से भरा हुआ था, क्योंकि साम्राज्य को स्थिर और सुदृढ़ बनाने के लिए उन्हें कई संघर्षों का सामना करना पड़ा।
प्रशासन और नीतियाँ
- धार्मिक नीति: हुमायूँ (Humayun) ने अपने शासनकाल में धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा दिया। उन्होंने विभिन्न धर्मों के साथ संवाद और सहिष्णुता की नीति अपनाई।
- सामाजिक सुधार: हुमायूँ (Humayun) ने न्याय व्यवस्था को सुधारने की कोशिश की और प्रशासनिक संरचना को मजबूत करने का प्रयास किया। हालांकि, उनके शासनकाल में प्रशासनिक अस्थिरता और संघर्षों के कारण सुधार पूरी तरह से लागू नहीं हो सके।
प्रमुख संघर्ष और पराजय
- शेरशाह सूरी के खिलाफ संघर्ष: हुमायूँ (Humayun) का सबसे बड़ा संघर्ष शेरशाह सूरी से था, जिन्होंने उनके शासनकाल के दौरान प्रभावी रूप से साम्राज्य को चुनौती दी। 1540 में, शेरशाह सूरी ने हुमायूँ को हराया और दिल्ली पर कब्जा कर लिया, जिसके परिणामस्वरूप हुमायूँ को निर्वासन में जाना पड़ा।
- निरंतर संघर्ष: शेरशाह सूरी के शासनकाल के दौरान हुमायूँ ने कई प्रयास किए, लेकिन वे सफल नहीं हो सके। उन्होंने ईरान और अन्य क्षेत्रों में शरण ली और वहां से सहायता प्राप्त करने की कोशिश की।
पुनः सिंहासन पर आरूढ़ होना
पुनरागमन: 1545 में, हुमायूँ (Humayun) ने ईरान के शासक शाह तहमास्प से सहायता प्राप्त की और 1555 में दिल्ली पर पुनः कब्जा कर लिया। इस पुनरागमन के साथ, उन्होंने अपने साम्राज्य को पुनः स्थापित करने में सफलतापूर्वक प्रयास किया।
अंतिम दिन
मृत्यु: हुमायूँ (Humayun) की मृत्यु 27 जनवरी 1556 को दिल्ली में हुई। उनकी मृत्यु के कारण के बारे में विभिन्न कथाएँ हैं, लेकिन यह माना जाता है कि वे अपने पुस्तकालय की सीढ़ियों से गिर गए थे।
उत्तराधिकारी
अकबर: हुमायूँ (Humayun) का पुत्र अकबर उनके बाद मुग़ल साम्राज्य का सम्राट बना। अकबर ने अपने पिता द्वारा स्थापित साम्राज्य को मजबूत किया और विस्तारित किया, जिससे मुग़ल साम्राज्य भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण शक्ति बन गया।
हुमायूँ का महत्व
हुमायूँ (Humayun) को भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण शासक के रूप में माना जाता है। उनके शासनकाल के दौरान साम्राज्य को संजीवनी देने की कोशिशों ने मुग़ल साम्राज्य की नींव को मजबूत करने में योगदान किया। उनका प्रयास और संघर्ष मुग़ल साम्राज्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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